Rajani katare

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नशे की लत" लघु कथा भाग -- 3




लेखनी प्रतियोगिता
दिनांक- 5/3/22
विषय- नशे की ओर बढ़ते नन्हें कदम
शीर्षक- नशे की लत

            "नशे की लत" लघु कथा

बहुत सुंदर पाॅश कालोनी में था मल्होत्रा जी का
मकान, किनारे किनारे हरे भरे वृक्षों से लदी फदी कालोनी......

बीचों बीच कालोनी के सुंदर सा बगीचा जो तरह
तरह के झूले, स्लाइडिंग, सीसाॅ आदि से सुसज्जित
था- सब बच्चों को खेलने के लिए लगाए गये थे....

बच्चे खेलते-कूदते कब बड़े हो गये... पैसों की 
कोई कमी न होने से ज्यादातर बच्चे नामी गिरामी स्कूलों में पढ़े.....

मल्होत्रा जी एक सरकारी बैंक में मैनेजर की पोस्ट पर थे उनकी पत्नी भी एक सरकारी उ.मा.स्कूल
में लैक्चरार के पद पर कार्यरत थीं.....

उनका बेटा आया और ट्यूशन के भरोसे पल-पुस
गया- माँ बाप ने कभी ध्यान देने की कोशिश नहीं
करी!! बच्चा किसके साथ खेलता है, कौन दोस्त
हैं उसके......

कब वह बुरी संगत में पड़कर नशे की लत का
शिकार हो गया, जब पानी सिर से ऊपर निकल
गया, तब माँ बाप को होश आया- पता चला वो
नशे के इंजेक्शन लेता है, उसके बिना रह नहीं
सकता......

दोनों ने बहुत कोशिश करी बेटे की ये लत छुड़वाने
की, पर कोई फायदा नहीं हुआ.....
वो न कोई काम करता न नोकरी, बस पूरे समय
नशे में धुत्त रहता.....
दिन पर दिन उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी,
समझाने का भी उसके ऊपर कोई असर न पड़ता,
दूसरों के सामने भी माँ- बाप को शर्मिन्दा होना
पड़ता, अपने सामने बेटे को मौत के मुँह में जाते
देख रहे थे......

पहले ही ध्यान दिया होता तो यह नौबत नहीं न
आती!! पर अब क्या...?
कहते हैं न-
"अब पछताए का होत,
जब चिड़िया चुग गई खेत ।"

    रचनाकार- रजनी कटारे
           जबलपुर म प्र.

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2 Comments

Swati chourasia

08-Mar-2022 08:05 PM

Very nice 👌

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Seema Priyadarshini sahay

08-Mar-2022 05:05 PM

बहुत खूबसूरत

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